रोगों की खोज कहां हुई, संक्रामक रोग एवं लक्षण, communicable diseases and their elimination in hindi

Rakesh Chauhan
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संक्रामक संक्रामक रोग एवं उनकी रोकथाम

आदिकालीन मानव रोग आया बीमारियों के बारे में अधिक नहीं जानते थे वे सारी बीमारियों के कारण देवी क्रॉप या भूत प्रेत आत्माओं की को मानते थे लेकिन प्रथम बार यूनान के चिकित्सक हैप्पी योगरोस ने सारी बीमारियों या रोगों के बारे में विस्तारपूर्वक लिखा इसी कारण हिप्पो क्रॉस्ट को चिकित्सा शास्त्र का जनक कहा जाता है इसके बाद रॉबर्ट कोच ने बीमारियों के वास्तविक कारणों का अनेक अध्ययन करने के बाद निर्णय निश्चय किया कि बीमारियां जीवाणुओं के कारण ही होती है इसके बाद तो सारी बीमारियों से संबंधित अनेक खोजे हुई।
रोग को अंग्रेजी में डिसीज कहा जाता है जिसका अर्थ है ए सहज योग शब्द का मूल अर्थ है रुकावट अतः अर्थ अच्छे स्वास्थ्य में रुकावट उत्पन्न होना ही रोग है रोग मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं-
(i)संक्रामक रोग तथा (ii) संचारिणी यह संक्रामक रोग।




i) संक्रामक रोग वे लोग होते हैं जो भोजन जल, मल मूत्र या  साँस के माध्यम से फैलते हैं जैसे फ्लैग, पिक्चर्स, तपेदिक, निमोनिया आदि संक्रामक रोगों में रोगाणु प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से साथ भोजन या जल व पानी करने के माध्यम से स्वास्थ्य व्यक्ति में दाखिल होकर उनको रोग ग्रस्त कर देते हैं यह सूक्ष्म रोगाणु, कीटाणु, बैक्टीरिया, वायरस आदि शरीर में दाखिल होकर शरीर शरीर को रोग ग्रस्त एवं कमजोर बना देते हैं और शरीर को कमजोर कर देते हैं शरीर में ताकत नहीं बस्ती और शरीर इन रोगाणुओं से लड़ नहीं पाता और अंततः मनुष्य बहुत गंभीर रूप से इन से रोग ग्रस्त हो जाता है इससे मनुष्य की मौत भी हो सकती है इनमें सबसे खतरनाक वायरस को माना गया है क्योंकि वायरस नहीं जीवित होता है और नहीं मिला इसलिए इस पर एंटीबायोटिक दवाइयां कार्य नहीं करती एंटीबायोटिक दवाइयां केवल बैक्टीरिया परी कार्य करती है क्योंकि बैक्टीरिया को जीवित माना गया है वायरस जीवित नहीं होता परंतु यह मानव शरीर में विकसित या किसी भी जीवित वस्तु में अपना संख्या बढ़ा लेता है।

असंक्रामक रोग वे रोग होते हैं जो रोगी के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संपर्क में आने से नहीं फैलते है अतः जो रोग संक्रमण से न फैलने जैसे मानसिक रोग, एनीमिया, बवासीर, मधुमेह, रक्तचाप हृदय रोग आदि।
 संक्रामक रोगों के लक्षण
  • संक्रामक रोगों में अन्य लोगों से मिलते जुलते लक्षण पाए जाते हैं। इसमें बीमारी बढ़ने पर शरीर बेजान हो जाता है।
  • पूरे शरीर में पीड़ा होने लगती है जो असहनीय होती है।
  • सिर में दर्द रहने लगता है और बुखार तेजी से बढ़ने लगता है।
  • शरीर का तापमान बढ़ जाता है या बहुत तेजी से घटने लगता।
  • शरीर में कपकपी होने लगती है और रोगी को ठंड लगने लगती है।
  •  शरीर कमजोर होने लगता है।
  • संक्रामक  रोगों में उल्टियां पाचन क्रिया में गड़बड़ी होने के कारण दस्त भी लग जाते हैं।

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